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पृथ्वी पर तबाही से दुनिया को बचाएगा चीन, सीधे अ‍ॅस्ट्रॉइड पर हमला.





संकट अक्सर हमारे ग्रह पर अंतरिक्ष से अ‍ॅस्ट्रॉइड , उल्कापिंडों के रूप में प्रहार करता है। इस बीच चीन ने अब धरती पर आ रही ऐसी तबाही से दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है। चीन धरती को हर-मगिदोन से बचाने जा रहा है। उसके लिए चीन धरती से आने वाले इस एस्टेरॉयड पर अपने सबसे बड़े रॉकेट के रॉकेट के जरिए हमला करने जा रहा है। तो इस क्षुद्रग्रह की दिशा बदलने वाली है। चीन इसके लिए खास योजना बना रहा है।

एक बड़ा अ‍ॅस्ट्रॉइड पृथ्वी के पास आ रहा है। आशंका जताई जा रही है कि अ‍ॅस्ट्रॉइड पृथ्वी से टकरा सकता है। इससे मनुष्यों सहित पृथ्वी पर जीवन का विलुप्त होना हो सकता है। इसलिए चीन 23 रॉकेट से हमला कर अ‍ॅस्ट्रॉइड की दिशा बदलने की योजना बना रहा है।



चीन जिस अ‍ॅस्ट्रॉइड पर हमला करने की योजना बना रहा है उसे बेन्नू कहा जाता है। इस अ‍ॅस्ट्रॉइड का वजन 7750 करोड़ किलोग्राम है। यह अ‍ॅस्ट्रॉइड अगर पृथ्वी से टकराया तो जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है। इतना ही नहीं, अ‍ॅस्ट्रॉइड भले ही पृथ्वी के बहुत करीब चला जाए, लेकिन यह काफी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी गति और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न ऊर्जा पृथ्वी के लिए विनाशकारी हो सकती है।



अ‍ॅस्ट्रॉइड बेन्नू के 2175 और 2199 के बीच पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करने की उम्मीद है। यानी यह घटना 154 से 178 साल के बीच होने की संभावना है। इस अ‍ॅस्ट्रॉइड के पृथ्वी से टकराने की संभावना बहुत कम है। लेकिन विशेषज्ञ किसी भी तरह के जोखिम को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। यह अ‍ॅस्ट्रॉइड संयुक्त राज्य अमेरिका में एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के आकार के बारे में है। इतना बड़ा अ‍ॅस्ट्रॉइड यदि समुद्र में गिर भी जाए तो भी अपने भार के नीचे समुद्र की लहरें पूरी दुनिया पर कहर बरपा सकती हैं।



यदि बेन्नू  अ‍ॅस्ट्रॉइड पृथ्वी से टकराता है, तो यह लगभग 1,200 मेगाटन गतिज ऊर्जा उत्पन्न करेगा। यह ऊर्जा हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 80,000 गुना ज्यादा होगी। डायनासोर के विलुप्त अ‍ॅस्ट्रॉइड को ध्यान में रखते हुए, इसने लगभग 100 मिलियन मेगाटन ऊर्जा उत्पन्न की। उसकी तुलना में बेन्नू से कम ऊर्जा उत्पन्न होगी।

चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र की गणना के अनुसार अ‍ॅस्ट्रॉइड बेन्नू की दिशा बदलने के लिए 23 रॉकेटों को लॉन्च करना होगा। इसके लिए चीन अपने सबसे लंबे रॉकेट लॉन्ग मार्च 5 का इस्तेमाल करेगा। इनमें से एक रॉकेट का वजन 900 मीट्रिक टन या 900,000 किलोग्राम है।



जब ये 23 रॉकेट अ‍ॅस्ट्रॉइड बेन्नू से टकराएंगे, तो यह पृथ्वी से 9,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। यह शोध इकारस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। किसी भी अ‍ॅस्ट्रॉइड की दिशा बदलना आसान नहीं होता है। लेकिन हमें भविष्य में ऐसा करने के लिए तैयार रहना चाहिए, शोध के प्रमुख लेखक मिंगताओ ने कहा।

जैसा कि आप हॉलीवुड फिल्म आर्मगेडन में देख सकते हैं, बेन्नू परमाणु बम विस्फोट नहीं कर सकता। क्योंकि यह जोखिम को कम किए बिना बढ़ा देगा। परमाणु बम के फटने से हुए क्षुद्रग्रह के टुकड़े दिशा नहीं बदल पाएंगे। उनकी गति अधिक हो सकती है, मिंगताओ को डर था।




चीन की योजना अमेरिकी योजना से थोड़ी अधिक विस्तृत और महंगी है। संयुक्त राज्य अमेरिका के नासा ने आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के लिए हाइपरवेलोसिटी क्षुद्रग्रह शमन भी विकसित किया है। इसमें 30 फुट लंबा एक अंतरिक्ष यान एक क्षुद्रग्रह से टकराएगा। नासा का अनुमान है कि हैमर अंतरिक्ष यान 34 से 53 बार क्षुद्रग्रह से टकराएगा। इसका मतलब है कि प्रत्येक अंतरिक्ष यान टक्कर देगा।



NASA का प्रयोग बेन्नू क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने से 10 साल पहले शुरू होगा। ताकि हर टक्कर के बाद एस्टेरॉयड अपना रास्ता बदलता रहे। यह क्षुद्रग्रह संभवत: कम टक्करों में सुरक्षित दूरी तक पहुंच जाएगा।



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